Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - प्रेरितों के काम - प्रेरितों के काम 16

प्रेरितों के काम 16:6-27

Help us?
Click on verse(s) to share them!
6और वे फ्रूगिया और गलातिया प्रदेशों में से होकर गए, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन्हें आसिया में वचन सुनाने से मना किया।
7और उन्होंने मूसिया* के निकट पहुँचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु के आत्मा ने उन्हें जाने न दिया।
8अतः वे मूसिया से होकर त्रोआस* में आए।
9वहाँ पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदुनी पुरुष खड़ा हुआ, उससे विनती करके कहता है, “पार उतरकर मकिदुनिया में आ, और हमारी सहायता कर।”
10उसके यह दर्शन देखते ही हमने तुरन्त मकिदुनिया जाना चाहा, यह समझकर कि परमेश्‍वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है।
11इसलिए त्रोआस से जहाज खोलकर हम सीधे सुमात्राके और दूसरे दिन नियापुलिस में आए।
12वहाँ से हम फिलिप्पी* में पहुँचे, जो मकिदुनिया प्रान्त का मुख्य नगर, और रोमियों की बस्ती है; और हम उस नगर में कुछ दिन तक रहे।
13सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझकर गए कि वहाँ प्रार्थना करने का स्थान होगा; और बैठकर उन स्त्रियों से जो इकट्ठी हुई थीं, बातें करने लगे।
14और लुदिया नाम थुआतीरा नगर की बैंगनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी, और प्रभु ने उसका मन खोला, ताकि पौलुस की बातों पर ध्यान लगाए।
15और जब उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उसने विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चलकर मेरे घर में रहो,” और वह हमें मनाकर ले गई।
16जब हम प्रार्थना करने की जगह जा रहे थे, तो हमें एक दासी मिली, जिसमें भावी कहनेवाली आत्मा थी; और भावी कहने से अपने स्वामियों के लिये बहुत कुछ कमा लाती थी।
17वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी, “ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्‍वर के दास हैं, जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं।”
18वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही, परन्तु पौलुस परेशान हुआ, और मुड़कर उस आत्मा से कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँ, कि उसमें से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।”
19जब उसके स्वामियों ने देखा, कि हमारी कमाई की आशा जाती रही, तो पौलुस और सीलास को पकड़कर चौक में प्रधानों के पास खींच ले गए।
20और उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर कहा, “ये लोग जो यहूदी हैं, हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं; (1 राजा. 18:17)
21और ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिये ठीक नहीं।
22तब भीड़ के लोग उनके विरोध में इकट्ठे होकर चढ़ आए, और हाकिमों ने उनके कपड़े फाड़कर उतार डाले, और उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी।
23और बहुत बेंत लगवाकर उन्होंने उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया और दरोगा को आज्ञा दी कि उन्हें सावधानी से रखे।
24उसने ऐसी आज्ञा पा कर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उनके पाँव काठ में ठोंक दिए।
25आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्‍वर के भजन गा रहे थे, और कैदी उनकी सुन रहे थे।
26कि इतने में अचानक एक बड़ा भूकम्प हुआ, यहाँ तक कि बन्दीगृह की नींव हिल गई, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्धन खुल गए।
27और दरोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा कि कैदी भाग गए, अतः उसने तलवार खींचकर अपने आपको मार डालना चाहा।

Read प्रेरितों के काम 16प्रेरितों के काम 16
Compare प्रेरितों के काम 16:6-27प्रेरितों के काम 16:6-27