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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 6

नीतिवचन 6:3-22

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3इस स्थिति में, हे मेरे पुत्र एक काम कर और अपने आप को बचा ले, क्योंकि तू अपने पड़ोसी के हाथ में पड़ चुका है तो जा, और अपनी रिहाई के लिए उसको साष्टांग प्रणाम करके उससे विनती कर।
4तू न तो अपनी आँखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दे;
5और अपने आप को हिरनी के समान शिकारी के हाथ से, और चिड़िया के समान चिड़ीमार के हाथ से छुड़ा।
6हे आलसी, चींटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो जा।
7उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला,
8फिर भी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं।
9हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी?
10थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना,
11तब तेरा कंगालपन राह के लुटेरे के समान और तेरी घटी हथियारबंद के समान आ पड़ेगी।
12ओछे और अनर्थकारी* को देखो, वह टेढ़ी-टेढ़ी बातें बकता फिरता है,
13वह नैन से सैन और पाँव से इशारा, और अपनी अंगुलियों से संकेत करता है,
14उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और झगड़ा रगड़ा उत्‍पन्‍न करता है।
15इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी, वह पल भर में ऐसा नाश हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।
16छः वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन् सात हैं जिनसे उसको घृणा है'
17अर्थात् घमण्ड से चढ़ी हुई आँखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लहू बहानेवाले हाथ,
18अनर्थ कल्पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वेग से दौड़नेवाले पाँव,
19झूठ बोलनेवाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्‍पन्‍न करनेवाला मनुष्य।
20हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न तज।
21उनको अपने हृदय में सदा गाँठ बाँधे रख; और अपने गले का हार बना ले।
22वह तेरे चलने में तेरी अगुआई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझे शिक्षा देगी।

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