2तो तू अपने ही शपथ के वचनों में फंस जाएगा, और अपने ही मुँह के वचनों से पकड़ा जाएगा।
3इस स्थिति में, हे मेरे पुत्र एक काम कर और अपने आप को बचा ले, क्योंकि तू अपने पड़ोसी के हाथ में पड़ चुका है तो जा, और अपनी रिहाई के लिए उसको साष्टांग प्रणाम करके उससे विनती कर।
4तू न तो अपनी आँखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दे;
5और अपने आप को हिरनी के समान शिकारी के हाथ से, और चिड़िया के समान चिड़ीमार के हाथ से छुड़ा।
6हे आलसी, चींटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो जा।
7उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला,