8गूँगे के लिये अपना मुँह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
9अपना मुँह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर।
10भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूँगों से भी बहुत अधिक है।
11उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है, और उसे लाभ की घटी नहीं होती।