9तब तू धर्म और न्याय और सिधाई को, अर्थात् सब भली-भली चाल को समझ सकेगा;
10क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तेरे प्राण को सुख देनेवाला होगा;
11विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी;
12ताकि वे तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहनेवालों से बचायेंगे,
13जो सिधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अंधेरे मार्ग में चलें;
14जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं;
15जिनके चालचलन टेढ़े-मेढ़े और जिनके मार्ग में कुटिलता हैं।
16बुद्धि और विवेक तुझे पराई स्त्री से बचाएंगे, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है,
17और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती, और जो अपने परमेश्वर की वाचा* को भूल जाती है।
18उसका घर मृत्यु की ढलान पर है, और उसकी डगरें मरे हुओं के बीच पहुँचाती हैं;
19जो उसके पास जाते हैं, उनमें से कोई भी लौटकर नहीं आता; और न वे जीवन का मार्ग पाते हैं।
20इसलिए तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल, और धर्मियों के पथ को पकड़े रह।
21क्योंकि धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उसमें बने रहेंगे।