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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 29

नीतिवचन 29:3-14

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3जो बुद्धि से प्रीति रखता है, वह अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है। (लूका 15:13)
4राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है।
5जो पुरुष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
6बुरे मनुष्य का अपराध उसके लिए फंदा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है।
7धर्मी पुरुष कंगालों के मकद्दमें में मन लगाता है; परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता।
8ठट्ठा करनेवाले लोग नगर को फूँक देते हैं, परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं।
9जब बुद्धिमान मूर्ख के साथ वाद-विवाद करता है, तब वह मूर्ख क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहाँ शान्ति नहीं रहती।
10हत्यारे लोग खरे पुरुष से बैर रखते हैं, और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं।
11मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है।
12जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है, तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं*।
13निर्धन और अंधेर करनेवाले व्यक्तियों में एक समानता है; यहोवा दोनों की आँखों में ज्योति देता है।
14जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है, उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है।

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