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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 23

नीतिवचन 23:17-29

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17तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
18क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
19हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
20दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना;
21क्योंकि पियक्कड़ और पेटू दरिद्र हो जाएँगे, और उनका क्रोध उन्हें चिथड़े पहनाएगी।
22अपने जन्मानेवाले पिता की सुनना, और जब तेरी माता बुढ़िया हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।
23सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना।
24धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; और बुद्धिमान का जन्मानेवाला उसके कारण आनन्दित होता है।
25तेरे कारण माता-पिता आनन्दित और तेरी जननी मगन होए।
26हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, और तेरी दृष्टि मेरे चालचलन पर लगी रहे।
27वेश्या गहरा गड्ढा ठहरती है; और पराई स्त्री सकेत कुएँ के समान है।
28वह डाकू के समान घात लगाती है, और बहुत से मनुष्यों को विश्वासघाती बना देती है।
29कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय, हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? कौन बक-बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं?

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