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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 21

नीतिवचन 21:1-7

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1राजा का मन जल की धाराओं के समान यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उसको मोड़ देता है।
2मनुष्य का सारा चालचलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जाँचता है,
3धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है।
4चढ़ी आँखें, घमण्डी मन, और दुष्टों की खेती, तीनों पापमय हैं।
5कामकाजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करनेवाले को केवल घटती होती है।
6जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जानेवाला कुहरा है, उसके ढूँढ़नेवाले मृत्यु ही को ढूँढ़ते हैं।
7जो उपद्रव दुष्ट लोग करते हैं, उससे उन्हीं का नाश होता है, क्योंकि वे न्याय का काम करने से इन्कार करते हैं।

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