20जो अपने माता-पिता को कोसता, उसका दिया बुझ जाता, और घोर अंधकार हो जाता है।
21जो भाग पहले उतावली से मिलता है, अन्त में उस पर आशीष नहीं होती।
22मत कह, “मैं बुराई का बदला लूँगा;” वरन् यहोवा की बाट जोहता रह, वह तुझको छुड़ाएगा। (1 थिस्सलुनीकियों. 5:15)
23घटते बढ़ते बटखरों से यहोवा घृणा करता है, और छल का तराजू अच्छा नहीं।
24मनुष्य का मार्ग यहोवा की ओर से ठहराया जाता है; मनुष्य अपना मार्ग कैसे समझ सकेगा*?