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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 12

नीतिवचन 12:11-20

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11जो अपनी भूमि को जोतता, वह पेट भर खाता है, परन्तु जो निकम्मों की संगति करता, वह निर्बुद्धि ठहरता है।
12दुष्ट जन बुरे लोगों के लूट के माल की अभिलाषा करते हैं, परन्तु धर्मियों की जड़ें हरी भरी रहती है।
13बुरा मनुष्य अपने दुर्वचनों के कारण फंदे में फँसता है, परन्तु धर्मी संकट से निकास पाता है।
14सज्जन अपने वचनों के फल के द्वारा भलाई से तृप्त होता है, और जैसी जिसकी करनी वैसी उसकी भरनी होती है।
15मूर्ख को अपनी ही चाल सीधी जान पड़ती है, परन्तु जो सम्मति मानता, वह बुद्धिमान है।
16मूर्ख की रिस तुरन्त प्रगट हो जाती है*, परन्तु विवेकी मनुष्य अपमान को अनदेखा करता है।
17जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है।
18ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार के समान चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।
19सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल भर का होता है।
20बुरी युक्ति करनेवालों के मन में छल रहता है*, परन्तु मेल की युक्ति करनेवालों को आनन्द होता है।

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