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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - ज़बूर - ज़बूर 73

ज़बूर 73:13-21

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13यक़ीनन मैने बेकार अपने दिल को साफ़, और अपने हाथों को पाक किया;
14क्यूँकि मुझ पर दिन भर आफ़त रहती है, और मैं हर सुबह तम्बीह पाता हूँ।
15अगर मैं कहता, कि यूँ कहूँगा; तो तेरे फ़र्ज़न्दों की नसल से बेवफ़ाई करता।
16जब मैं सोचने लगा कि इसे कैसे समझूँ, तो यह मेरी नज़र में दुश्वार था,
17जब तक कि मैंने ख़ुदा के मक़दिस में जाकर, उनके अंजाम को न सोचा।
18यक़ीनन तू उनको फिसलनी जगहों में रखता है, और हलाकत की तरफ़ ढकेल देता है।
19वह दम भर में कैसे उजड़ गए! वह हादिसों से बिल्कुल फ़ना हो गए।
20जैसे जाग उठने वाला ख़्वाब को, वैसे ही तू ऐ ख़ुदावन्द, जाग कर उनकी सूरत को नाचीज़ जानेगा।
21क्यूँकि मेरा दिल रंजीदा हुआ, और मेरा जिगर छिद गया था;

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