33सिलाह उसी की जो क़दीम आसमान नहीं बल्कि आसमानों पर सवार है; देखो वह अपनी आवाज़ बुलंद करता है, उसकी आवाज़ में कु़दरत है।
34ख़ुदा ही की ताज़ीम करो, उसकी हश्मत इस्राईल में है, और उसकी क़ुदरत आसमानों पर।
35ऐ ख़ुदा, तू अपने मक़दिसों में मुहीब है, इस्राईल का ख़ुदा ही अपने लोगों को ज़ोर और तवानाई बख़्शता है। खु़दा मुबारक हो।