15क़ौमों के बुत चाँदी और सोना हैं, या'नी आदमी की दस्तकारी।
16उनके मुँह हैं, लेकिन वह बोलते नहीं; आँखें हैं लेकिन वह देखते नहीं।
17उनके कान हैं, लेकिन वह सुनते नहीं; और उनके मुँह में साँस नहीं।
18उनके बनाने वाले उन ही की तरह हो जाएँगे; बल्कि वह सब जो उन पर भरोसा रखते हैं।
19ऐ इस्राईल के घराने! ख़ुदावन्द को मुबारक कहो! ऐ हारून के घराने! ख़ुदावन्द को मुबारक कहो।