1मैं अपनी आँखें पहाड़ों की तरफ उठाऊगा; मेरी मदद कहाँ से आएगी?
2मेरी मदद ख़ुदावन्द से है, जिसने आसमान और ज़मीन को बनाया।
3वह तेरे पाँव को फिसलने न देगा; तेरा मुहाफ़िज़ ऊँघने का नहीं।
4देख! इस्राईल का मुहाफ़िज़, न ऊँघेगा, न सोएगा।
5ख़ुदावन्द तेरा मुहाफ़िज़ है; ख़ुदावन्द तेरे दहने हाथ पर तेरा सायबान है।
6न आफ़ताब दिन को तुझे नुक़सान पहुँचाएगा, न माहताब रात को।