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पवित्र बाइबिल - गिनती - गिनती 13

गिनती 13:1-24

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1फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2“कनान देश जिसे मैं इस्राएलियों को देता हूँ, उसका भेद लेने के लिये पुरुषों को भेज; वे उनके पितरों के प्रति गोत्र का एक-एक प्रधान पुरुष हों।”
3यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरुषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्राएलियों के प्रधान थे।
4उनके नाम ये हैं रूबेन के गोत्र में से जक्कूर का पुत्र शम्मू;
5शिमोन के गोत्र में से होरी का पुत्र शापात;
6यहूदा के गोत्र में से यपुन्‍ने का पुत्र कालेब;
7इस्साकार के गोत्र में से यूसुफ का पुत्र यिगाल;
8एप्रैम के गोत्र में से नून का पुत्र होशे;
9बिन्यामीन के गोत्र में से रापू का पुत्र पलती;
10जबूलून के गोत्र में से सोदी का पुत्र गद्दीएल;
11यूसुफ वंशियों में, मनश्शे के गोत्र में से सूसी का पुत्र गद्दी;
12दान के गोत्र में से गमल्ली का पुत्र अम्मीएल;
13आशेर के गोत्र में से मीकाएल का पुत्र सतूर;
14नप्ताली के गोत्र में से वोप्सी का पुत्र नहूबी;
15गाद के गोत्र में से माकी का पुत्र गूएल।
16जिन पुरुषों को मूसा ने देश का भेद लेने के लिये भेजा था उनके नाम ये ही हैं। और नून के पुत्र होशे का नाम मूसा ने यहोशू रखा।
17उनको कनान देश के भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, “इधर से, अर्थात् दक्षिण देश होकर जाओ,
18और पहाड़ी देश में जाकर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उसमें बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान हैं या निर्बल, थोड़े हैं या बहुत,
19और जिस देश में वे बसे हुए हैं वह कैसा है, अच्छा या बुरा, और वे कैसी-कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बूओं में रहते हैं या गढ़ अथवा किलों में रहते हैं,
20और वह देश कैसा है, उपजाऊ है या बंजर है, और उसमें वृक्ष हैं या नहीं। और तुम हियाव बाँधे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना।” वह समय पहली पक्की दाखों का था।
21इसलिए वे चल दिए, और सीन नामक जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देखभालकर उसका भेद लिया।
22वे दक्षिण देश होकर चले, और हेब्रोन तक गए; वहाँ अहीमन, शेशै, और तल्मै नामक अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन मिस्र के सोअन से सात वर्ष पहले बसाया गया था।
23तब वे एशकोल नामक नाले* तक गए, और वहाँ से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उसे एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारों और अंजीरों में से भी कुछ-कुछ ले आए।
24इस्राएली वहाँ से जो दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल नाला रखा गया।

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