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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अह - अह 6

अह 6:8-15

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8फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
9“हारून और उसके बेटों को यूँ हुक्म दे कि सोख़्तनी क़ुर्बानी के बारे में शरा' यह है, कि सोख़्तनी क़ुर्बानी मज़बह के ऊपर आतिशदान पर तमाम रात सुबह तक रहे, और मज़बह की आग उस पर जलती रहे।
10और काहिन अपना कतान का लिबास पहने और कतान के पाजामे को अपने तन पर डाले और आग ने जो सोख़्तनी क़ुर्बानी को मज़बह पर भसम करके राख कर दिया है, उस राख को उठा कर उसे मज़बह की एक तरफ़ रख्खे।
11फिर वह अपने लिबास को उतार कर दूसरे कपड़े पहने, और उस राख को उठा कर लश्करगाह के बाहर किसी साफ़ जगह में ले जाए।
12और मज़बह पर आग जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और काहिन हर सुबह को उस पर लकड़ियाँ जला कर सोख़्तनी क़ुर्बानी को उसके ऊपर चुन दे, और सलामती के ज़बीहों की चर्बी को उसके ऊपर जलाया करे।
13मज़बह पर आग हमेशा जलती रख्खी जाए; वह कभी बुझने न पाए।
14“नज़्र की क़ुर्बानी 'और नज़्र की क़ुर्बानी के बारे में शरा' यह है, कि हारून के बेटे उसे मज़बह के आगे ख़ुदावन्द के सामने पेश करें।
15और वह नज़्र की क़ुर्बानी में से अपनी मुट्ठी भर इस तरह निकाले कि उसमें थोड़ा सा मैदा और कुछ तेल जो उसमें पड़ा होगा और नज़्र की क़ुर्बानी का सब लुबान आ जाए, और इस यादगारी के हिस्से को मज़बह पर ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज ख़ुशबू के तौर पर जलाए।

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