Text copied!
CopyCompare
इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अह - अह 4

अह 4:19-35

Help us?
Click on verse(s) to share them!
19और उसकी सब चर्बी उससे अलग करके उसे मज़बह पर जलाए।
20वह बछड़े से यही करे, या'नी जो कुछ ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े से किया था, वही इस बछड़े से करे। यूँ काहिन उनके लिए कफ़्फ़ारा दे, तो उन्हें मु'आफ़ी मिलेगी;
21और वह उस बछड़े को लश्करगाह के बाहर ले जा कर जलाए, जैसे पहले बछड़े को जलाया था; यह जमा'अत की ख़ता की क़ुर्बानी है।
22और जब किसी सरदार से ख़ता हो जाए, और वह उन कामों में से जिन्हें ख़ुदावन्द ने मना' किया है किसी काम को अनजाने में कर बैठे और मुजरिम हो जाए।
23तो जब वह ख़ता जो उससे सरज़द हुई है उसे बता दी जाए, तो वह एक बे — 'ऐब बकरा अपनी क़ुर्बानी के लिए लाए;
24और अपना हाथ उस बकरे के सिर पर रख्खे, और उसे उस जगह ज़बह करे जहाँ सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर ख़ुदावन्द के आगे ज़बह करते हैं; यह ख़ता की क़ुर्बानी है।
25और काहिन ख़ता की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून अपनी उँगली पर लेकर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के पाए पर उँडेल दे।
26और सलामती के ज़बीहे की चर्बी की तरह उसकी सब चर्बी मज़बह पर जलाए। यूँ काहिन उसकी ख़ता का कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।
27'और अगर कोई 'आम आदमियों में से अनजाने में ख़ता करे, और उन कामों में से जिन्हें ख़ुदावन्द ने मना' किया है किसी काम को करके मुजरिम हो जाए;
28तो जब वह ख़ता जो उसने की है उसे बता दी जाए, तो वह अपनी उस ख़ता के लिए जो उससे सरज़द हुई है, एक बे — 'ऐब बकरी लाए।
29और वह अपना हाथ ख़ता की क़ुर्बानी के जानवर के सिर पर रख्खे, और ख़ता की क़ुर्बानी के उस जानवर को सोख़्तनी क़ुर्बानी की जगह पर ज़बह करे।
30और काहिन उसका कुछ ख़ून अपनी उँगली पर ले कर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून मज़बह के पाए पर उँडेल दे;
31और वह उसकी सारी चर्बी को अलग करे जैसे सलामती के ज़बीहे की चर्बी अलग की जाती है, और काहिन उसे मज़बह पर राहतअंगेज़ ख़ुशबू के तौर पर ख़ुदावन्द के लिए जलाए। यूँ काहिन उसके लिए कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।
32और अगर ख़ता की क़ुर्बानी के लिए उसका हदिया बर्रा हो, तो वह बे — 'ऐब मादा लाए;
33और अपना हाथ ख़ता की क़ुर्बानी के जानवर के सिर पर रख्खे; और उसे ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर उस जगह ज़बह करे जहाँ सोख़्तनी क़ुर्बानी ज़बह करते है।
34और काहिन ख़ता की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून अपनी उँगली पर लेकर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून मज़बह के पाये पर उँडेल दे।
35और उसकी सब चर्बी को अलग करे जैसे सलामती के ज़बीहे के बर्रे की चर्बी अलग की जाती है। और काहिन उसको मज़बह पर ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानियों के ऊपर जलाए। यूँ काहिन उसके लिए उसकी ख़ता का जो उससे हुई है कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।

Read अह 4अह 4
Compare अह 4:19-35अह 4:19-35