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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अह - अह 25

अह 25:23-55

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23“और ज़मीन हमेशा के लिए बेची न जाए क्यूँकि ज़मीन मेरी है, और तुम मेरे मुसाफ़िर और मेहमान हो।
24बल्कि तुम अपनी मिल्कियत के मुल्क में हर जगह ज़मीन को छुड़ा लेने देना।
25“और अगर तुम्हारा भाई ग़रीब हो जाए और अपनी मिल्कियत का कुछ हिस्सा बेच डाले, तो जो उस का सबसे क़रीबी रिश्तेदार है वह आकर उस को जिसे उसके भाई ने बेच डाला है छुड़ा ले।
26और अगर उस आदमी का कोई न हो जो उसे छुड़ाए, और वह ख़ुद मालदार हो जाए और उसके छुड़ाने के लिए उसके पास काफ़ी हो।
27तो वह फ़रोख़्त के बाद के बरसों को गिन कर बाक़ी दाम उसकी जिसके हाथ ज़मीन बेची है फेर दे; तब वह फिर अपनी मिल्कियत का मालिक हो जाए।
28लेकिन अगर उसमें इतना मक़दूर न हो कि अपनी ज़मीन वापस करा ले, तो जो कुछ सन बेच डाला है वह साल — ए — यूबली तक ख़रीदार के हाथ में रहे; और साल — ए — यूबली में छुट जाए, तब यह आदमी अपनी मिल्कियत का फिर मालिक हो जाए।
29और अगर कोई शख़्स रहने के ऐसे मकान को बेचे जो किसी फ़सीलदार शहर में हो, तो वह उसके बिक जाने के बाद साल भर के अन्दर — अन्दर उसे छुड़ा सकेगा; या'नी पूरे एक साल तक वह उसे छुड़ाने का हक़दार रहेगा।
30और अगर वह पूरे एक साल की मी'आद के अन्दर छुड़ाया न जाए, तो उस फ़सीलदार शहर के मकान पर ख़रीदार का नसल — दर — नसल हमेशा का क़ब्ज़ा हो जाए और वह साल — ए — यूबली में भी न छूटे।
31लेकिन जिन देहात के गिर्द कोई फ़सील नहीं उनके मकानों का हिसाब मुल्क के खेतों की तरह होगा, वह छुड़ाए भी जा सकेंगे और साल — ए — यूबली में वह छूट भी जाएँगे।
32तो भी लावियों के जो शहर हैं, लावी अपनी मिल्कियत के शहरों के मकानों को चाहे किसी वक़्त छुड़ा लें।
33और अगर कोई दूसरा लावी उनको छुड़ा ले, तो वह मकान जो बेचा गया और उसकी मिल्कियत का शहर दोनों साल ए — यूबली में छूट जाएँ; क्यूँकि जो मकान लावियों के शहरों में हैं वही बनी — इस्राईल के बीच लावियों की मिल्कियत हैं।
34लेकिन उनके शहरों की 'इलाक़े के खेत नहीं बिक सकते, क्यूँकि वह उनकी हमेशा की मिल्कियत हैं।
35और अगर तेरा कोई भाई ग़रीब हो जाए और वह तेरे सामने तंगदस्त हो, तो तू उसे संभालना। वह परदेसी और मुसाफ़िर की तरह तेरे साथ रहे।
36तू उससे सूद या नफ़ा' मत लेना बल्कि अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ रखना, ताकि तेरा भाई तेरे साथ ज़िन्दगी बसर कर सके।
37तू अपना रुपया उसे सूद पर मत देना और अपना खाना भी उसे नफ़े' के ख़याल से न देना।
38मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ, जो तुम को इसी लिए मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया कि मुल्क — ए — कना'न तुम को दूँ और तुम्हारा ख़ुदा ठहरूँ।
39'और अगर तेरा कोई भाई तेरे सामने ऐसा ग़रीब हो जाए कि अपने को तेरे हाथ बेच डाले, तो तू उससे गु़लाम की तरह ख़िदमत न लेना।
40बल्कि वह मज़दूर और मुसाफ़िर की तरह तेरे साथ रहे और साल — ए — यूबली तक तेरी ख़िदमत करे।
41उसके बाद वह बाल — बच्चों के साथ तेरे पास से चला जाए, और अपने घराने के पास और अपने बाप दादा की मिल्कियत की जगह को लौट जाए।
42इसलिए कि वह मेरे ख़ादिम हैं जिनको मैं मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया हूँ, वह ग़ुलामों की तरह बेचे न जाएँ।
43तू उन पर सख़्ती से हुक्मरानी न करना, बल्कि अपने ख़ुदा से डरते रहना।
44और तेरे जो ग़ुलाम और तेरी जो लौंडियाँ हों, वह उन क़ौमों में से हों जो तुम्हारे चारों तरफ़ रहती हैं; उन ही में से तुम गु़लाम और लौंडियाँ ख़रीदा करना।
45इनके सिवा उन परदेसियों के लड़के बालों में से भी जो तुम में क़याम करते हैं और उनके घरानों में से जो तुम्हारे मुल्क में पैदा हुए और तुम्हारे साथ हैं तुम ख़रीदा करना और वह तुम्हारी ही मिल्कियत होंगे।
46और तुम उनको मीरास के तौर पर अपनी औलाद के नाम कर देना कि वह उनकी मौरूसी मिल्कियत हों। इनमें से तुम हमेशा अपने लिए ग़ुलाम लिया करना; लेकिन बनी — इस्राईल जो तुम्हारे भाई हैं, उनमें से किसी पर तुम सख़्ती से हुक्मरानी न करना।
47“और अगर कोई परदेसी या मुसाफ़िर जो तेरे साथ हो, दौलतमन्द हो जाए और तेरा भाई उसके सामने ग़रीब हो कर अपने आप को उस परदेसी या मुसाफ़िर या परदेसी के ख़ान्दान के किसी आदमी के हाथ बेच डाले,
48तो बिक जाने के बाद वह छुड़ाया जा सकता है, उसके भाइयों में से कोई उसे छुड़ा सकता है,
49या उसका चचा या ताऊ, या उसके चचा या ताऊ का बेटा, या उसके ख़ान्दान का कोई और आदमी जो उसका क़रीबी रिश्तेदार हो वह उस को छुड़ा सकता है; या अगर वह मालदार हो जाए, तो वह अपना फ़िदिया दे कर छूट सकता है।
50वह अपने ख़रीदार के साथ अपने को फ़रोख़्त कर देने के साल से लेकर साल — ए — यूबली तक हिसाब करे और उसके बिकने की क़ीमत बरसों की ता'दाद के मुताबिक़ हो; या'नी उसका हिसाब मज़दूर के दिनों की तरह उसके साथ होगा।
51अगर यूबली के अभी बहुत से बरस बाक़ी हों, तो जितने रुपयों में वह ख़रीदा गया था उनमें से अपने छूटने की क़ीमत उतने ही बरसों के हिसाब के मुताबिक़ फेर दे।
52और अगर साल — ए — यूबली के थोड़े से बरस रह गए हों, तो वह उसके साथ हिसाब करे और अपने छूटने की क़ीमत उतने ही बरसों के मुताबिक़ उसे फेर दे;
53और वह उस मज़दूर की तरह अपने आक़ा के साथ रहे जिसकी मज़दूरी साल — ब — साल ठहराई जाती हो, और उसका आक़ा उस पर तुम्हारे सामने सख़्ती से हुकूमत न करने पाए।
54और अगर वह इन तरीक़ों से छुड़ाया न जाए तो साल — ए — यूबली में बाल बच्चों के साथ छूट जाए।
55क्यूँकि बनी — इस्राईल मेरे लिए ख़ादिम हैं, वह मेरे ख़ादिम हैं जिनको मैं मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया हूँ; मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।

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