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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अह - अह 23

अह 23:10-42

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10“बनी — इस्राईल से कह कि जब तुम उस मुल्क में जो मैं तुम को देता हूँ दाख़िल हो जाओ और उसकी फ़स्ल काटो, तो तुम अपनी फ़स्ल के पहले फलों का एक पूला काहिन के पास लाना;
11और वह उसे ख़ुदावन्द के सामने हिलाए, ताकि वह तुम्हारी तरफ़ से क़ुबूल हो और काहिन उसे सबत के दूसरे दिन सुबह को हिलाए।
12और जिस दिन तुम पूले को हिलाओ उसी दिन एक नर बे — 'ऐब यक — साला बर्रा सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करना।
13और उसके साथ नज़्र की क़ुर्बानी के लिए तेल मिला हुआ मैदा ऐफ़ा के दो दहाई हिस्से के बराबर हो, ताकि वह आतिशी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू के लिए जलाई जाए; और उसके साथ मय का तपावन हीन के चौथे हिस्से के बराबर मय लेकर करना।
14और जब तक तुम अपने ख़ुदा के लिए यह हदिया न ले आओ, उस दिन तक नई फ़स्ल की रोटी या भुना हुआ अनाज, या हरी बालें हरगिज़ न खाना। तुम्हारी सब सुकूनतगाहों में नसल — दर — नसल हमेशा यही क़ानून रहेगा।
15“और तुम सबत के दूसरे दिन से जिस दिन हिलाने की क़ुर्बानी के लिए पूला लाओगे गिनना शुरू' करना, जब तक सात सबत पूरे न हो जाएँ।
16और सातवें सबत के दूसरे दिन तक पचास दिन गिन लेना, तब तुम ख़ुदावन्द के लिए नज़्र की नई क़ुर्बानी पेश करना।
17तुम अपने घरों में से ऐफ़ा के दो दहाई हिस्से के वज़न के मैदे के दो गिर्दे हिलाने की क़ुर्बानी के लिए ले आना; वह ख़मीर के साथ पकाए जाएँ ताकि ख़ुदावन्द के लिए पहले फल ठहरें।
18और उन गिर्दों के साथ ही तुम सात यक — साला बे — 'ऐब बर्रे और एक बछड़ा और दो मेंढे लाना, ताकि वह अपनी अपनी नज़्र की क़ुर्बानी और तपावन के साथ ख़ुदावन्द के सामने सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर पेश करे जाएँ, और ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़शबू की आतिशी क़ुर्बानी ठहरें।
19और तुम ख़ता की क़ुर्बानी के लिए एक बकरा और सलामती के ज़बीहे के लिए दो यकसाला नर बर्रे चढ़ाना।
20और काहिन इनको पहले फल के दोनों गिर्दों के साथ लेकर उन दोनों बर्रों के साथ हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने हिलाए, वह ख़ुदावन्द के लिए पाक और काहिन का हिस्सा ठहरें।
21और तुम ऐन उसी दिन 'ऐलान कर देना, उस रोज़ तुम्हारा पाक मजमा' हो, तुम उस दिन कोई ख़ादिमाना काम न करना; तुम्हारी सब सुकूनतगाहों में नसल — दर — नसल सदा यही तौर तरीक़ा रहेगा।
22“और जब तुम अपनी ज़मीन की पैदावार की फ़सल काटो, तो तू अपने खेत को कोने — कोने तक पूरा न काटना और न अपनी फ़सल की गिरी — पड़ी बालों को जमा' करना, बल्कि उनको ग़रीबों और मुसाफ़िरों के लिए छोड़ देना; मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।”
23और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
24“बनी — इस्राईल से कह कि सातवें महीने की पहली तारीख़ तुम्हारे लिए ख़ास आराम का दिन हो, उसमें यादगारी के लिए नरसिंगे फूंके जाएँ और पाक मजमा' हो।
25तुम उस रोज़ कोई ख़ादिमाना काम न करना और ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी पेश करना।”
26ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा
27“उसी सातवें महीने की दसवीं तारीख़ की कफ़्फ़ारे का दिन है; उस रोज़ तुम्हारा पाक मजमा' हो, और तुम अपनी जानों को दुख देना और ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी पेश करना।
28तुम उस दिन किसी तरह का काम न करना, क्यूँकि वह कफ़्फ़ारे का दिन है जिसमें ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा के सामने तुम्हारे लिए क़फ्फारा दिया जाएगा।
29जो शख़्स उस दिन अपनी जान को दुख ने दे वह अपने लोगों में से काट डाला जाएगा।
30और जो शख़्स उस दिन किसी तरह का काम करे, उसे मैं उसके लोगों में से फ़ना कर दूँगा।
31तुम किसी तरह का काम मत करना, तुम्हारी सब सुकुनत गाहों में नसल — दर — नसल हमेशा यही तौर तरीक़े रहेंगे।
32यह तुम्हारे लिए ख़ास आराम का सबत हो, इसमें तुम अपनी जानों को दुख देना; तुम उस महीने की नौवीं तारीख़ की शाम से दूसरी शाम तक अपना सबत मानना।”
33और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
34'बनी — इस्राईल से कह कि उसी सातवें महीने की पंद्रहवीं तारीख़ से लेकर सात दिन तक ख़ुदावन्द के लिए 'ईद — ए — ख़ियाम होगी।
35पहले दिन पाक मजमा हो; तुम उस दिन कोई ख़ादिमाना काम न करना।
36तुम सातों दिन बराबर ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी पेश करना। आठवें दिन तुम्हारा पाक मजमा' हो और फिर ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी पेश करना; वह ख़ास मजमा' है, उसमें कोई ख़ादिमाना काम न करना।
37“यह ख़ुदावन्द की मुक़र्ररा 'ईदें हैं जिनमें तुम पाक मजम'ओं का 'ऐलान करना; ताकि ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी, और सोख़्तनी क़ुर्बानी, और नज़्र की क़ुर्बानी और जबीहा और तपावन हर एक अपने अपने मुअ'य्यन दिन में पेश किया जाए।
38इनके अलावा ख़ुदावन्द के सबतों को मानना, और अपने हदियों और मिन्नतों और रज़ा की क़ुर्बानियों को जो तुम ख़ुदावन्द के सामने लाते हो पेश करना।
39“और सातवें महीने की पंद्रहवीं तारीख़ से, जब तुम ज़मीन की पैदावार जमा' कर चुको तो सात दिन तक ख़ुदावन्द की 'ईद मानना। पहला दिन खास आराम का हो, और अट्ठारहवें दिन भी ख़ास आराम ही का हो।
40इसलिए तुम पहले दिन ख़ुशनुमा दरख़्तों के फल और खजूर की डालियाँ, और घने दरख़्तों की शाख़े और नदियों की बेद — ए — मजनूँ लेना; और तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के आगे सात दिन तक ख़ुशी मनाना।
41और तुम हर साल ख़ुदावन्द के लिए सात रोज़ तक यह 'ईद माना करना। तुम्हारी नसल दर नसल हमेशा यही क़ानून रहेगा कि तुम सातवें महीने इस 'ईद को मानो।
42सात रोज़ तक बराबर तुम सायबानों में रहना, जितने इस्राईल की नसल के हैं सब के सब सायबानों में रहें;

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