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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अम्सा - अम्सा 7

अम्सा 7:1-15

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1ऐ मेरे बेटे, मेरी बातों को मान, और मेरे फ़रमान को निगाह में रख।
2मेरे फ़रमान को बजा ला और ज़िन्दा रह, और मेरी ता'लीम को अपनी आँख की पुतली जानः
3उनको अपनी उँगलियों पर बाँध ले, उनको अपने दिल की तख़्ती पर लिख ले।
4हिकमत से कह, तू मेरी बहन है, और समझ को अपना रिश्तेदार क़रार दे;
5ताकि वह तुझ को पराई 'औरत से बचाएँ, या'नी बेगाना 'औरत से जो चापलूसी की बातें करती है।
6क्यूँकि मैंने अपने घर की खिड़की से, या'नी झरोके में से बाहर निगाह की,
7और मैंने एक बे'अक़्ल जवान को नादानों के बीच देखा, या'नी नौजवानों के बीच वह मुझे नज़रआया,
8कि उस 'औरत के घर के पास गली के मोड़ से जा रहा है, और उसने उसके घर का रास्ता लिया;
9दिन छिपे शाम के वक़्त, रात के अंधेरे और तारीकी में।
10और देखो, वहाँ उससे एक 'औरत आ मिली, जो दिल की चालाक और कस्बी का लिबास पहने थी।
11वह गौग़ाई और ख़ुदसर है, उसके पाँव अपने घर में नहीं टिकते;
12अभी वह गली में है, अभी बाज़ारों में, और हर मोड़ पर घात में बैठती है।
13इसलिए उसने उसको पकड़ कर चूमा, और बेहया मुँह से उससे कहने लगी,
14“सलामती की कु़र्बानी के ज़बीहे मुझ पर फ़र्ज़ थे, आज मैंने अपनी नज्रे़ अदा की हैं।
15इसीलिए मैं तेरी मुलाक़ात को निकली, कि किसी तरह तेरा दीदार हासिल करूँ, इसलिए तू मुझे मिल गया।

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