10ऐसा न हो कि बेगाने तेरी कु़व्वत से सेर हों, और तेरी कमाई किसी गै़र के घर जाए;
11और जब तेरा गोश्त और तेरा जिस्म घुल जाये तो तू अपने अन्जाम पर नोहा करे;
12और कहे, “मैंने तरबियत से कैसी 'अदावत रख्खी, और मेरे दिल ने मलामत को हक़ीर जाना।
13न मैंने अपने उस्तादों का कहा माना, न अपने तरबियत करने वालों की सुनी।
14मैं जमा'अत और मजलिस के बीच, क़रीबन सब बुराइयों में मुब्तिला हुआ।”
15तू पानी अपने ही हौज़ से और बहता पानी अपने ही चश्मे से पीना
16क्या तेरे चश्मे बाहर बह जाएँ, और पानी की नदियाँ कूचों में?
17वह सिर्फ़ तेरे ही लिए हों, न तेरे साथ गै़रों के लिए भी।
18तेरा सोता मुबारक हो और तू अपनी जवानी की बीवी के साथ ख़ुश रह।