13तरबियत को मज़बूती से पकड़े रह, उसे जाने न दे; उसकी हिफ़ाज़त कर क्यूँकि वह तेरी ज़िन्दगी है।
14शरीरों के रास्ते में न जाना, और बुरे आदमियों की राह में न चलना।
15उससे बचना, उसके पास से न गुज़रना, उससे मुड़कर आगे बढ़ जाना;
16क्यूँकि वह जब तक बुराई न कर लें सोते नहीं; और जब तक किसी को गिरा न दें उनकी नींद जाती रहती है।
17क्यूँकि वह शरारत की रोटी खाते, और जु़ल्म की मय पीते हैं।
18लेकिन सादिक़ों की राह सुबह की रोशनी की तरह है, जिसकी रोशनी दो पहर तक बढ़ती ही जाती है।