21ऐ मेरे बेटे, 'अक़्लमंदी और तमीज़ की हिफ़ाज़त कर, उनको अपनी आँखों से ओझल न होने दे;
22यूँ वह तेरी जान की हयात, और तेरे गले की ज़ीनत होंगी।
23तब तू बेखटके अपने रास्ते पर चलेगा, और तेरे पाँव को ठेस न लगेगी।
24जब तू लेटेगा तो ख़ौफ़ न खाएगा, बल्कि तू लेट जाएगा और तेरी नींद मीठी होगी।