10क्यूँकि हिकमत तेरे दिल में दाख़िल होगी, और 'इल्म तेरी जान को पसंद होगा,
11तमीज़ तेरी निगहबान होगी, समझ तेरी हिफ़ाज़त करेगा;
12ताकि तुझे शरीर की राह से, और कजगो से बचाएँ।
13जो रास्तबाज़ी की राह को छोड़ते हैं, ताकि तारीकी की राहों में चलें,
14जो बदकारी से ख़ुश होते हैं, और शरारत की कजरवी में खु़श रहते हैं,
15जिनका चाल चलन ना हमवार, और जिनकी राहें टेढ़ी हैं।